पझौता आंदोलन एक महत्वपूर्ण आंदोलन था जो 1980 के दशक में भारत के हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हुआ था।
यह सब तब शुरू हुआ जब सरकार ने सीमेंट संयंत्र के निर्माण के लिए पझौता गांव में किसानों से भूमि अधिग्रहित की।
किसानों ने सामाजिक कार्यकर्ता सुंदर लाल बहुगुणा के नेतृत्व में सरकार द्वारा उनकी भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया।
वे भूख हड़ताल पर चले गए, रैलियां आयोजित कीं और संयंत्र के निर्माण को अवरुद्ध कर दिया।
पझौता आंदोलन को पर्यावरणविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों सहित समाज के विभिन्न वर्गों से व्यापक समर्थन मिला।
प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तारी, लाठीचार्ज और पुलिस की बर्बरता सहित सरकार के गंभीर दमन का सामना करना पड़ा।
इस आंदोलन ने राष्ट्रीय ध्यान प्राप्त किया जब प्रसिद्ध भारतीय कवयित्री और लेखिका, महादेवी वर्मा ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
उन्होंने विरोध स्थल का दौरा किया और किसानों के समर्थन में एक कविता लिखी।
इस आंदोलन को कई अन्य लेखकों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों का भी समर्थन मिला।
पझौता आंदोलन लगभग एक दशक तक चलता रहा और आखिरकार 1990 में सरकार ने सीमेंट प्लांट के निर्माण को रद्द कर दिया।
किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा भी दिया गया।
पझौता आंदोलन हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक ऐतिहासिक आंदोलन बन गया और राज्य भर में कई अन्य आंदोलनों को प्रेरित किया।
यह लोगों की शक्ति और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की प्रभावशीलता का प्रतीक था।
अंत में, पझौता आंदोलन हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
इससे पता चला कि शांतिपूर्ण विरोध और लोगों की एकता से बदलाव लाया जा सकता है।
पझौता आंदोलन की विरासत लोगों को अपने अधिकारों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करती है।